ध्यान अर्थात मेडिटेशन
शारीरिक, मानसिक & भावनात्मक स्वास्थ्य प्राप्त करने की एक प्राचीन विधि है।
मेडिटेशन (ध्यान) से कमाल के लाभों के चलते इसका लाभ उठाने वाले लोगों की संख्या देश और विदेश दोनों में निरंतर बढ़ती जा रही है।
स्वस्थ व्यक्ति वह है जो शारीरिक तौर पर स्वस्थ, मानसिक तौर पर सजग, भावानात्मक तौर पर शांत और आध्यत्मिक तौर पर परिपक्व हो ।
पूरी तरह से स्वस्थ रहने के लिए मानसिक और भावानात्मक पहलू भी उतने ही जरूरी हैं जितना कि शारीरिक पहलू।
मेडिटेशन सदियों से कई मानसिक बीमारियों के इलाज का अभिन्न अंग रहा है, जो बदलते समय में भी दोबारा अपनी पकड़ बनाता जा रहा है। जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य के सभी पहलुओं को हासिल करने में मदद मिलती है।
एक शक्तिशाली दवा
वास्तव में ध्यान एक साधारण, लेकिन शक्तिशाली तकनीक व मेडिसन है, जो आपके मस्तिष्क को शांत और स्थिर रखता है।
आपको करना सिर्फ यह होता है कि आप बस अपनी आंखें बंद करके सुखपुर्वक बैठ जाएं और धीरे-धीरे आते-जाते हुए सांस का निरीक्षण करते रहें । नियमित रुप से कुछ ही दिनों के अभ्यास से आप अपूर्व शांती का अनुभव करने लगेंगे ।
शुरुआत में ध्यान लगाने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है, मन यहां-वहां भटकेगा, लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आप मन को जल्द काबू कर सकते हैं।
अनेक जटिल बीमारियो में फायदा।
ध्यान हमें सिर्फ मानसिक शांति ही नहीं प्रदान करता, बल्कि कई अध्ययनों में यह बात भी सामने आई है कि इससे एलर्जी, उत्तेजना, अस्थमा, कैंसर, थकान, हृदय संबंधी बीमारियों, हाई ब्लड प्रेशर, अनिद्रा आदि में आराम मिलता है।
अनेक अनेक मनोवैज्ञानिक बीमारियों से भी राहत दिलाने में ध्यान हमारी काफी सहायता करता है। इस लिए इसे एक शक्तिशाली दवा कहना गलत न होगा।
मेडिटेशन विचारों को संकेन्द्रित करने में मदद करता है। साधारण भाषा में कहें तो मेडिटेशन ऐसा अभ्यास है जिसके जरिए व्यक्ति अपने दिमाग को और बेहतर के लिए प्रशिक्षित करता है।
इसे ‘स्पिरिचुअल एक्सरसाइज’ यानी आध्यात्मिक व्यायाम भी कहा जाता है जिसके अंतर्गत अवेयरनेस यानी जागरूकता, एकाग्रता, फोकस और सतर्कता आदि आते हैं।
आयुर्वेद और भारतीय फिलॉसफी में दिमाग को छठी इंद्रिय कहा गया है जिसका सभी अन्य पांचों इंद्रियों पर काबू होता है। इसलिए इसे ‘सभी इंद्रियों में सर्वोपरि’ कहा गया है। सभी इंद्रियों के बीच सामंजस्य बिठाने और नियंत्रण करने के अलावा, दिमाग एक ऐसे अंग के तौर पर भी काम करता है जिसके अपने कुछ काम होते हैं, जैसे अनुमान लगाना, इच्छा करना, बोलना, विचार, क्रियाकलाप, भावनाएं, व्यवहारगत आदतें आदि।
दरअसल भावनात्मक तनाव की शारिरिक प्रतिक्रियाएं हमारे शरीर के हॉरमोन्स और बॉयो केमिकल्स के स्राव के जरिए पैदा होती है। शुरू में यह कई अलग-अलग और सामान्य से लगने वाले लक्षणों की तरह सामने आती है, जैसे नींद न आना, डायरिया, उल्टी, सिरदर्द, भूख न लगना आदि, लेकिन समय बीतने के साथ ये काफी जटिल और जानलेवा बीमारियों के रूप में बदल जाती है।
मेडिटेशन के कुछ प्रमुख लाभ
मानसिक शांति और मानसिक संतुलन।
सजगता में वृद्धी
एकाग्रता, स्मरण शक्ति & आत्मविश्वास बढ़ाना।
नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर करना।
विचारों में सकारात्मकता लाना।
मस्तिष्क और शरीर को शांत करना।
तनाव मुक्त करना।
सृजन क्षमता बढ़ने से उत्पादकता और काम की गुणवत्ता बढ़ना।
निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होना।
अपने भीतर देख सकना। इससे भावनाओं को नियंत्रित करने में भी आसानी होती है।
प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धी।
अधिक तनाव के कारण स्ट्रैस हार्मोन्स की मात्रा बढ़ाती है, जिस कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
इससे शरीर के कई प्रकार के संक्रमण और कुछ खास तरह के कैंसर की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। लंबे समय तक तनाव बना रहने से हृदय और श्वसन संबंधी रोगों की ओर धकेल देता है।
ध्यान इन समस्याओं से बचने में मदद करता है !!!
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