November 5, 2024

Buddhist Bharat

Buddhism In India

बुद्ध,धम्म और संघ की शरण उत्तम है।

“बुद्धञ्च, धम्मञ्च, संघञ्च सरणमुत्तमं ।
एतं खो सरणं खेमं, एतं सरणमुत्तमं ।”

बुद्ध,धम्म और संघ की शरण उत्तम है।
यही रक्षादायक शरण हैं,
यही उत्तम शरण हैं।

सभी दुःखों से मुक्ति पाने के लिए यही सर्वोत्तम शरण हैं।

मनुष्य दुःख आने पर, भय के कारण पर्वत,, वन, वृक्ष, मंदिर और काल्पनिक देवी- देवता की शरण में जाते हैं।

“नेतं खो सरणं खेमं, नेसं सरणमुत्तमं ।
नेतं सरणागम्म, सब्बदुक्खा पमुच्चति ।। “

किन्तु ये शरण ( पर्वत, वन, वृक्ष, मंदिर, काल्पनिक देवी-देवताओं की शरण) मंगलदायक नहीं है, ये शरण उत्तम नहीं है, क्योंकि इन शरणों में जाकर सब दुःखों से छुटकारा नहीं मिलता।

इसलिए, तथागत गौतमबुद्ध ने जेतवन में अग्गिदत्त परिव्राजक को उपदेश देते हुए कहा –

अग्गिदत्त ! जो बुद्ध, धम्म और संघ की शरण में गया हैं, वह मनुष्य चार आर्य सत्य – दुःख, दुःख की उत्पत्ति, दुःख का विनाश की ओर ले जाने वाले मार्ग – अष्टांग मार्ग को देख लेता है, यह निश्चय ही कल्याणकारी है, उत्तम शरण है।

“दुक्खं दक्खसमुप्पादं, दुक्खस्स च अतिक्कमं ।
अरियञ्चट्ठिंकं मग्गं, दुक्खूपसमगामिनं ।।

एतं खो सरणं खेमं, एतं सरणमुत्तमं ।
एतं सरणागम्म, सब्बदुक्खा पमुच्चति ।। “

इन तीन रत्नों ( बुद्ध, धम्म, संघ) की शरण को प्राप्त कर व्यक्ति सभी दुःखों से मुक्त हो जाता है।

नमो बुद्धाय 🙏🏻🙏🏻🙏🏻