एक समय एक ब्राह्मण तथागत बुद्ध के पास गया। बुद्ध को करबद्ध अभिवादन कर एक ओर बैठ गया। एक ओर बैठे हुए उस ब्राह्मण ने बुद्ध से पुछा-
आप गौतम का क्या वाद है, क्या मत है?
उत्तर में बुद्ध ने कहा- ब्राह्मण ! मैं क्रियावादी हूँ और अक्रियावादी भी।
आप गौतम! क्रियावादी और अक्रियावादी किस प्रकार है?
बुद्ध ने कहा-
ब्राह्मण! मैं न करने की बात करता हूँ।
कौन सी न करने की बातें?
ब्राह्मण! मैं कायिक दुराचरणों न करने की बात करता हूँ।
मैं वाचिक दुराचरणों न करने की बात करता हूँ।
मैं मानसिक दुराचरणों न करने की बात करता हूँ।
मैं कायिक, वाचिक और मानसिक दुराचरणों न करने की बात करता हूँ।
और ब्राह्मण! मैं करने की बात करता हूँ।
कौन सी करने की बातें?
ब्राह्मण! मैं कायिक सदाचरणों की बात करता हूँ।
मैं वाचिक सदाचरणों की बात करता हूँ।
मैं मानसिक सदाचरणों की बात करता हूँ।
मैं कायिक,वाचिक और मानसिक सदाचरणों की बात करता हूँ।
मैं अनेक प्रकार के कुशल कर्मो करने की बात करता हूँ।
ब्राह्मण! इस प्रकार मैं क्रियावादी और अक्रियावादी हूँ।
नमो बुद्धाय🙏🙏🙏
More Stories
🪷 तथागत भगवान बुद्ध, योग आणि विपश्यना : आत्मशुद्धीचा खरा मार्ग 🪷
बुद्ध धम्म (बौद्ध धर्म) हा दुःखमुक्तीचा मार्ग आहे Buddha Dhamma (Buddhism) is the path to liberation from suffering.
गौतम बुद्धांचे 10 प्रेरणादायी विचार 10 Inspirational Thoughts of Gautama Buddha