बुद्ध ने चार श्रेष्ठ सत्य ( Noble Truth) प्रकाशित किया ।
1) दु:ख हैं ।
2) दु:ख का कारण हैं ।
3) दु:ख का निवारण हैं ।
4) दु:ख निवारण का मार्ग हैं ।
बुद्ध ने कहा अविद्या दु:ख का कारण हैं, मूल हैं ।
अविद्या ( ignorance ) का प्रहाण ( removal) ही दु:ख का निवारण हैं ।
दु:ख निवारण का मार्ग हैं, अरिय अष्टांग मार्ग- Noble Eightfold path ।
बुद्ध ने कहा —
☸ धम्मचक्र ☸
अविद्या के बिल्कुल हट और रूक जाने से संस्कार ( mental coefficients , reaction ) होने नहीं पाते ।
संस्कारों के रूक जाने से विज्ञान (consciousness) होने नहीं पाता ।
विज्ञान के रूक जाने से नामरूप ( mind and matter) होने नहीं पाते ।
नामरूप के रूक जाने से षडायतन (six senses) होने नहीं पाता ।
षडायतन ( के रूक जाने से स्पर्श होने नहीं पाता ।
स्पर्श (contact, touch) के रूक जाने से वेदना नहीं होती ।
वेदना ( sensation ) के रूक जाने से तृष्णा होने नहीं पाती ।
तृष्णा (craving, lust,attachment) रूक जाने से उपादान होने नहीं पाता ।
उपादान (grasping, strong attachment) के रूक जाने से भव होने नहीं पाता ।
भव (the state of existance, the process of becoming ) रूक जाने से जाति (जन्म) होने नहीं पाती ।
जाति (birth ) रूक जाने से न जरा, न मरण, न शोक, न रोना -पीटना, न दु:ख, न बेचैनी और न तो परेशानी होती हैं ।
इस तरह, यह सारा दु:ख समूह ( entire mass of suffering ) रूक जाता हैं ।
यही धम्मचक्र ( wheel of Dhamma) हैं, भवसागर पार हैं, यही मुक्ति हैं, आवागमन से छुटकारा हैं ।
नमो बुद्धाय 🙏 🙏 🙏
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