November 5, 2024

Buddhist Bharat

Buddhism In India

शास्ता बुद्ध ने बिना गुरू, स्वयं बोधि ( Enlightenment ) प्राप्त करके प्राणियों के हित के लिए धम्म की देशना की।

बुद्ध ने चार श्रेष्ठ सत्य ( Noble Truth) प्रकाशित किया ।

1) दु:ख हैं ।
2) दु:ख का कारण हैं ।
3) दु:ख का निवारण हैं ।
4) दु:ख निवारण का मार्ग हैं ।

बुद्ध ने कहा अविद्या दु:ख का कारण हैं, मूल हैं ।
अविद्या ( ignorance ) का प्रहाण ( removal) ही दु:ख का निवारण हैं ।

दु:ख निवारण का मार्ग हैं, अरिय अष्टांग मार्ग- Noble Eightfold path ।

बुद्ध ने कहा —

☸ धम्मचक्र ☸

अविद्या के बिल्कुल हट और रूक जाने से संस्कार ( mental coefficients , reaction ) होने नहीं पाते ।
संस्कारों के रूक जाने से विज्ञान (consciousness) होने नहीं पाता ।

विज्ञान के रूक जाने से नामरूप ( mind and matter) होने नहीं पाते ।

नामरूप के रूक जाने से षडायतन (six senses) होने नहीं पाता ।

षडायतन ( के रूक जाने से स्पर्श होने नहीं पाता ।

स्पर्श (contact, touch) के रूक जाने से वेदना नहीं होती ।

वेदना ( sensation ) के रूक जाने से तृष्णा होने नहीं पाती ।

तृष्णा (craving, lust,attachment) रूक जाने से उपादान होने नहीं पाता ।

उपादान (grasping, strong attachment) के रूक जाने से भव होने नहीं पाता ।

भव (the state of existance, the process of becoming ) रूक जाने से जाति (जन्म) होने नहीं पाती ।

जाति (birth ) रूक जाने से न जरा, न मरण, न शोक, न रोना -पीटना, न दु:ख, न बेचैनी और न तो परेशानी होती हैं ।

इस तरह, यह सारा दु:ख समूह ( entire mass of suffering ) रूक जाता हैं ।

यही धम्मचक्र ( wheel of Dhamma) हैं, भवसागर पार हैं, यही मुक्ति हैं, आवागमन से छुटकारा हैं ।

नमो बुद्धाय 🙏 🙏 🙏