नामी अनामी बौद्ध भिक्खुओं व भिक्खुनियों और अनागारिकों को त्रिवार नमन।🙏🙏🙏
धम्मप्रेमी बन्धुओं व भगिनियों, नमो बुद्धाय
बोधिसत्व सिद्धार्थ गौतम को बुद्धगया में पीपल के वृक्ष तले वैशाखी पूर्णिमा की रात सम्यक संबोधि प्राप्त हुई। बोधिसत्व बुद्ध हुए। परम ज्ञान की प्राप्ति के दो माह पश्चात अषाढ़ पूर्णिमा के पवित्र दिवस पर सारनाथ (वाराणसी) में बुद्ध ने पंचवर्गीय भिक्षुओ को प्रथम धम्म उपदेश दिया था। तथागत बुद्ध ने जो उपदेश दिया वह था – चार अरिय सत्य, अरिय अष्टाङ्ग मार्ग जो पहले नहीं सुने गए थे। दु:खों से मुक्ति और निर्वाण की प्राप्ति का मार्ग तथागत ने बतलाया। ताथगत ने वाराणसी में धम्मचक्कप्पवत्तन किया वो दिन था अषाढ़ पूर्णिमा।
तथागत बुद्ध ने प्राणी मात्र के कल्याण के लिए धम्म चक्कप्रवर्तन किया। तथागत के इस ऐतिहासिक उपदेश को धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त में संरक्षित किया गया है और इस दिन को धम्मचक्कप्पवत्तन दिन के रूप में मनाया जाता है। इस पवित्र दिवस पर धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त का पाठ किया जाता है।
आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व इन घटनाओं के कारण यादगार है।
१. इस पवित्र पूनम के दिन बोधिसत्व सिद्बार्थ गौतम ने महामाया की कोख में प्रवेश किया।
२. सिद्बार्थ गौतम ने इसी दिन २९ वर्ष की आयु में गृहत्याग किया था।
३. इसी दिन तथागत बुद्ब ने पंचवर्गीय भिखुओं को प्रथम धम्म उपदेश देकर धम्मचककप्पवतन किया।
४. इसी दिन ५०० अर्हंत भिखुओं की पहली धम्म संगति हुई थी।
५. इस पूर्णिमा से भिक्खुओं के वर्षावास का आंरभ होता हैं।
बुद्ध के द्वारा दिया गया धम्म आदि कल्याणकारी, मध्य में कल्याणकारी और अंत में भी कल्याणकारी है।
इस शुद्ध धम्म का लाभ सभी को मिलें, सब के दु:ख दूर हो जाय यही मंगल कामनाएं।
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नमो बुद्धाय 🙏🙏🙏
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