1) जो व्यक्ति श्रद्धा और प्रसन्नता से भोजन का दान देता है, उसे अनेक अनेक जन्मों तक, असंख्य जन्मों तक भोजन मिलता रहेगा और बहुत बड़ी मात्रा में सहजता से अपने आप मिलता रहेगा ।
भोजन न मिलने के कारण उसकी मृत्यु होगी, यह असंभव हैं ।
2) इसी तरह जो व्यक्ति श्रद्धा और प्रसन्नता से पानी का दान देता है, उसे अनेक अनेक जन्मों तक, असंख्य जन्मों तक पीने के लिए शुद्ध पानी मिलता रहेगा सहजता से अपने आप और बहुत बड़ी मात्रा में मिलता रहेगा ।
पानी न मिलने के कारण उसकी मृत्यु होगी, यह असंभव हैं ।
3) इसी तरह जो व्यक्ति श्रद्धा और प्रसन्नता से वस्त्रों का दान देता है, उसे अनेक अनेक जन्मों तक, असंख्य जन्मों तक सभी प्रकार के कपड़े मिलते रहेंगे और बहुत बड़ी मात्रा में सहजता से अपने आप मिलते रहेंगे ।
4) इसी तरह जो व्यक्ति श्रद्धा और प्रसन्नता से वाहन का दान देता है, या किसी के सफर के लिए वाहन की व्यवस्था करता है, उसे अनेक अनेक जन्मों तक, असंख्य जन्मों तक हर बार सफर के लिए सभी प्रकार के वाहन की / सफर की सुविधा सहजता से अपने आप मिलती रहेगी ।
5) इसी तरह जो व्यक्ति श्रद्धा और प्रसन्नता से रोगियों को दवाइयों का दान देता है, उसे अनेक अनेक जन्मों तक, असंख्य जन्मों तक दवाइयाँ मिलती रहेंगी और बहुत बड़ी मात्रा में सहजता से अपने आप मिलती रहेंगी ।
दवाइ न मिलने के कारण उसकी मृत्यु होगी, यह असंभव हैं ।
5) इसी तरह जो व्यक्ति श्रद्धा और प्रसन्नता से निवास का दान देता है, उसे अनेक अनेक जन्मों तक, असंख्य जन्मों तक सभी प्रकार के भौतिक वस्तुएँ सहजता से अपने आप मिलती रहेंगे और बहुत बड़ी मात्रा में मिलती रहेंगे ।
6) और इसी तरह जो व्यक्ति श्रद्धा और प्रसन्नता से बिना किसी भेदभाव के, बिना बदले में कुछ चाहते हुए, अनेकोंके कल्याण के लिए निःस्वार्थ भाव से सेवा का दान देता हैं यानी लोगों की सेवा करता है, श्रमदान करता है, उसे अनेक अनेक असंख्य जन्मों तक निःस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले अनेक लोग सहजता से अपने आप मिलते रहेंगे, मिलते ही रहेंगे ।
7) और जो व्यक्ति धर्म (धम्म) का दान देता है, उसे निर्वाण प्राप्ति तक हर जन्म में सहजता से अपने आप शुद्ध धर्म (धम्म) मिलता रहेगा और उसकी उत्तरोत्तर धर्म में प्रगति भी होती रहेगी ।
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