June 19, 2025

Buddhist Bharat

Buddhism In India

भंते सुभद्र

तथागत बुद्ध के अंतिम शिष्य होने का सम्मान भंते सुभद्र को प्राप्त है।
उस वक्त तथागत बुद्ध हिरण्यवती नदी के किनारे कुशीनारा के मल्लो के शालवन मे यमक वृक्षो के बीच दाहिनी करवट लेकर सिंहशय्या पर लेटे हुए थे । निर्वाण के समीप पहुंचते हुए तथागत उस बहुत ही थके हुए थे व कमजोरी महसूस कर रहे थे। उस वक्त उपासक सुभद्र ने सुना की तथागत आज रात की अंतिम प्रहर को महापरिनिर्वाण को प्राप्त होने वाले हैं, तो क्यों न मै उनसे मिलकर धम्म विषयक शंकाओ का समाधान करलु।
तो उपासक सुभद्र तथागत के समीप जाने लगे तो आयुष्मान आनंद ने उन्हें निर्वाण के समीप पहुंचते तथागत को अधिक कष्ट देने से रोका। उपासक सुभद्र ने कई बार याचना की और कहा कि संसार में सम्यक् संबद्ध कभी कभार उत्पन्न होते हैं, कृपया मुझे उनसे मिलने दीजिए। आयुष्मान आनंद के कई बार मना करने पर भी उपासक सुभद्र उनसे अनुरोध करते रहे। तथागत बुद्ध आवाज सुनी तो भंते आनंद को कहकर उपासक सुभद्र को पास बुलाया। धम्म विषयक सभी शंकाओ का समाधान पाकर उपासक सुभद्र अत्यधिक प्रसन्न हुए। संसार के दुःख द, अनित्य व अनात्म स्वभाव को जानकर आयुष्मान सुभद्र ने तथागत से प्रवजीत होने की इच्छा जाहिर की, तो तथागत बुद्ध ने उन्हें सद्धम्म की दिक्षा देकर धम्मविनय मे प्रवजीत करवाया। अब तथागत बुद्ध ने अपनी आँखे मुंद ली। तत्पश्चात गहन समाधी की गहराइयों में उतरकर तथागत बुद्ध ने महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया। अब भंते सुभद्र तथागत बुद्ध द्वारा दिक्षा प्राप्त उनके आखरी शिष्य बन गए। इसिलिए उन्हें बौद्ध इतिहास में असाधारण महत्व प्राप्त हुआ।

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✍️ राहुल खरे नाशिक
9960999363