बामसेफ तथा भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय वामन मेश्राम साहब की अध्यक्षता में 14 जून को 6 pm to 10 pm तक रखा है|
भारत में प्राचीन बौद्ध विरासत सभी तरफ बिखरी पड़ी हुई है| यह भारत की शान है, हमारे पुरखों के महानता की निशानी है| प्राचीन बौद्ध भारत कितना विकसित, समृद्ध और बलशाली था इसका एहसास हमें हमारी प्राचीन बौद्ध विरासत करा देती है| हमारी आन बान शान और गौरव तथा आत्मसम्मान का प्रतीक हमारी प्राचीन बौद्ध विरासत है|
जब तक ब्रिटिश भारत में थे, तब तक उन्होंने इस विरासत को भारत के कोने कोने से ढुँढ निकाला, उसपर अध्ययन किया और उससे संबंधित संशोधित जानकारी को दुनिया के सामने रखा| तथागत बुद्ध और अशोक की विरासत पाखंडियों ने पुर्णतः मिटाकर रखीं थी, उनका नामोनिशान भी मिटा दिया था| ब्रिटिशों ने जब सम्राट अशोक के शिलास्तंभ (pillars) ढुँढ निकाले, तब उनकी वास्तविक जानकारी भारत के एक भी व्यक्ति को नहीं थी| कुछ ब्राह्मण उन शिलास्तंभों को महाभारत के भीम की लाठी बताने लगे और उसपर लिखित लिपि को ब्रम्ह लिपि कहने लगे| वास्तव में, वह शिलास्तंभ सम्राट अशोक के थे और उसकी लिपि ब्रम्हलिपि न होकर धम्मलिपी थी, इस सत्यता को ब्रिटिशों ने संशोधन कर उजागर किया|
प्राचीन बौद्ध विरासत का संरक्षण, संवर्धन और अधिकाधिक संशोधन करने के लिए ब्रिटिशों ने सन 1861 में जनरल कनिंगहम की अध्यक्षता में “भारतीय पुरातत्व विभाग” स्थापित कर दिया था लेकिन ब्रिटिश जाने के बाद ब्राम्हणों ने उस विभाग पर कब्जा कर बौद्ध विरासत को बेदखल किया|
प्राचीन विरासत को जानबूझकर बेदखल करना सबसे बड़ा देशद्रोह है| यह एक जघन्य अपराध है, लेकिन पुरातत्व विभाग को इसका जरा सा भी एहसास नहीं है| क्योंकि बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इस प्राचीन विरासत के प्रति गंभीर नहीं है, जिससे सरकार तथा पुरातत्व विभाग पर किसी का दबाव नहीं है|
बौद्ध अनुयायियों में अपनी प्राचीन विरासत के प्रति जागरूक करने के लिए और उन्होंने खुद होकर विरासत को बचाने का तथा पुरातत्व विभाग पर दबाव बनाने का कार्य करना चाहिए, इस उद्देश्य से बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क के तहत “प्राचीन बौद्ध पुरातत्व कार्यशाला” का ओनलाइन प्रशिक्षण
1 जून से 8 जून के दरमियान रखा गया था, जिसका ओनलाइन समापन कार्यक्रम बामसेफ तथा भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय वामन मेश्राम साहब की अध्यक्षता में 14 जून को 6 pm to 10 pm तक रखा है|
बहुजनों ने बड़ी संख्या में इस लाईव्ह कार्यक्रम को शेअर करना चाहिए और अपने मित्र परिवार के साथ सुनना चाहिए|
— बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क
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